सिक्स सिग्मा एक व्यापक गुणवत्ता प्रबंधन रणनीति है जिसे विश्वभर की कंपनियां उत्पादन और सेवाओं में दोषों को कम करने के लिए अपनाती हैं। इसकी उत्पत्ति 1980 के दशक में मोटोरोला में हुई थी, और इसे विशेष रूप से प्रक्रियाओं में निरंतर सुधार करने और गुणवत्ता के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। सिक्स सिग्मा का मूल आधार स्टैटिस्टिकल गुणवत्ता नियंत्रण (SQC) पर आधारित है, और इसे आज कई भारतीय कंपनियों ने भी अपना लिया है।
सिक्स सिग्मा के फायदे:
- दोषों में कमी: सिक्स सिग्मा की मदद से कंपनियां अपने उत्पादन या सेवा प्रक्रियाओं में दोषों को कम कर सकती हैं, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
- लागत में कमी: दोषों की कमी से उत्पादन लागत में भी कमी आती है क्योंकि रीवर्क और अपव्यय में कमी होती है।
- ग्राहक संतुष्टि में वृद्धि: बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद से ग्राहक संतुष्टि में वृद्धि होती है और ग्राहकों की वफादारी भी बढ़ती है।
- प्रक्रिया सुधार: सिक्स सिग्मा प्रक्रियाओं की गहराई से समीक्षा करता है और सतत सुधार के लिए नई तकनीकों और मेथडोलॉजी का परिचय देता है।
भारतीय कंपनियों में सिक्स सिग्मा का इस्तेमाल:
भारत में, कई बड़ी कंपनियां जैसे टाटा, रिलायंस, और इंफोसिस ने सिक्स सिग्मा को अपनाया है। इसके अलावा, कई मध्यम और छोटे आकार की कंपनियां भी सिक्स सिग्मा को लागू कर रही हैं क्योंकि इससे उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धी रहने में मदद मिलती है। यह न केवल उत्पादन या सेवा संबंधित प्रक्रियाओं में, बल्कि परिचालन और प्रबंधन के अन्य पहलुओं में भी सुधार का माध्यम बनता है।
सिक्स सिग्मा की प्रक्रियाएं और तकनीकें किसी भी संगठन को अपनी गुणवत्ता नीतियों को मजबूती प्रदान करने और व्यापारिक परिणामों को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं।